लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..
हैलो......
हाँ सुजाता.... बोलो.... अब क्या हुआ...!
देखिए आप प्लीज आज समय पर आ जाइयेगा... और याद से सारा सामान लेकर आइयेगा...।
अरे हाँ बाबा.... ले आऊंगा... सवेरे से तीसरी बार फोन कर चुकी हो...।
हाँ पर आप तो जानते हैं ना मुझे कितनी चिंता हो जाती हैं...।
तुम बेकार ही चिंता कर रहीं हो... अभी फोन रखो और बाकी तैयारियों पर ध्यान दो...।
हाँ... ठीक हैं ... पर सुनिये.... मिठाई थोड़ी अच्छी वाली लाना..। मेरा मतलब हैं मंहगी वाली...।
हाँ हाँ समझ गया... अभी तुम फोन रखोगी तो मैं यहाँ का काम खत्म करुंगा ना...। प्लीज अभी फोन मत करना.... मुझे काम खत्म करने दो....।
सुजाता ने बिना ओर कुछ बोले फोन रख दिया...। फोन रखते ही उसने फिर से किसी को फोन किया...।
हैलो... बेटा अभी ओर कितना टाइम लगेगा तुम्हें....!!
मम्मा अगर आप ऐसे ही हर पन्द्रह मिनट पर फोन करते रहोगे ना तो दस घंटे लग जाएंगे....। मम्मा यार पार्लर में आई हूँ वक्त तो लगेगा ना...। आप प्लीज ये बार बार फोन करना बंद किजिए...।
सॉरी बेटा.... लेकिन समय पर आ जाना..।
हाँ मम्मा.... पहुँच जाउंगी.... प्लीज अभी नो मोर कॉल.....।
सुजाता ने फोन रख दिया ओर किचन की तरफ़ चल दी...। वो वहां आने वाले मेहमानों के लिए बाकी की तैयारियां करने में व्यस्त थीं...। तभी दूसरे कमरे से एक रिंग बजने की आवाज आई...। सुजाता उस कमरे की तरफ़ गई.... और चिख कर बोलीं :- अब क्या हुआ.... क्या चाहिए अभी...!!
(एक छोटा सा कमरा... जो कब शुरू हुआ और कब खत्म...उस पर रखी एक चारपाई... कमरे के एक कोने में रखा हुआ पुराना सा संदुक और एक कोने पर रखा पानी का मटका...उस छोटे से कमरे से बाथरूम भी अटैच था.... वो भी बिल्कुल छोटा सा...। कमरे से बाहर सड़क की तरफ़ खुलती एक छोटी सी खिड़की... । उस खिड़की पर टंगे हुवे कुछ कपड़े...। )
सुजाता की आवाज सुनकर कमरे में चारपाई पर सिकुड़ कर बैठी रमादेवी बोलीं :- लड़के वाले आ गए बहू..!!
सुजाता गुस्से में:- सवेरे से दस बार पुछ चुकी हैं... तु बार बार ये घंटियाँ बजाना बंद करेंगी तब तो मैं अपना काम पूरा करुंगी ना.... उनको जो समय दिया हैं तब ही आएंगे ना.... तेरे बार बार पुछने से जल्दी थोड़ी आएंगे...। खबरदार जो अब एक ओर बार घंटी बजाई...। एक तो पहले ही इतना काम पड़ा हैं ऊपर से बार बार घंटियाँ बजा बजाकर दिमाग खराब कर दिया हैं...।
सुजाता झल्लाए हुवे कमरे से बाहर आकर किचन में चलीं गई.... ओर मन ही मन बड़बड़ाने लगी.... नाक में दम कर दिया हैं इसने भी...। सारी सुविधाएं देने के बाद भी बार बार घंटी बजा बजाकर परेशान करतीं रहतीं हैं...। अरे इस उम्र में चैन से किसी को दो वक्त का खाना भी नसीबों से मिलता हैं...। शुक्र मनाएं की उसे सब सुविधा मिल रहीं हैं...। समय पर खाना... पीना.... ओर क्या चाहिए....। फिर भी परेशान करना तो कोई इससे सीखें...। तंग आ गई हूँ अब तो मैं भी......।
सुजाता बड़बड़ाते हुवे ही तैयारियों में लगी हुई थीं....। आखिर उसकी बेटी सलोनी को देखने के लिए लड़के वाले जो आ रहें थे.... वो भी ऊंचे घराने के..... सुजाता कोई कमी नहीं रखना चाहतीं थीं...।
इंतज़ार किजिए अगले भाग का....।
Arti khamborkar
19-Dec-2024 04:11 PM
v nice
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kashish
05-Mar-2023 02:29 PM
nice
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sunanda
17-Feb-2023 11:53 AM
nice
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